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दिल मे उजले काग़ज पर

Posted by SUDHIR TOMAR on 3:13 PM in , ,
दिल मे उजले काग़ज पर हम कैसा गीत लिखें
बोलो तुम को गैर लिखें या अपना मीत लिखे

नीले अम्बर की अंगनाई में तारों के फूल
मेरे प्यासे होंठों पर हैं अंगारों के फूल
इन फूलों को आख़िर अपनी हार या जीत लिखें

कोई पुराना सपना दे दो और कुछ मीठे बोल
लेकर हम निकले हैं अपनी आंखों के कश-कोल
हम बंजारे प्रीत के मारे क्या संगीत लिखें

बोलो तुम को गैर लिखें या अपना मीत लिखे

- राही मासूम रज़ा

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abe kuch apna likha daal ab..waise ye to jabardast hai..

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